*पराली जलाने की समस्या का समाधान बन रही है सुपर सीडिंग मशीन-राम मगन वर्मा*

*किसान बुआई के लिए करें सुपर सीडर कृषि यंत्र का उपयोग खेत की जुताई के साथ ही हो जाएगी गेहूं की बुआई*

राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि अंबेडकरनगर

टांडा अंबेडकरनगर देश में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जिसमें किसानों को आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसी कड़ी का उदाहरण है सुपर सीडर मशीन। धान के अवशेषों को मिट्टी में मिलाने के लिए उपलब्ध मशीनों में से सुपर सीडर सबसे लोकप्रिय विकल्प साबित हो रहा है, क्योंकि यह किसानों को धान की पराली को मिट्टी में मिलाने की सुविधा देता है।इसके उपयोग से पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती और पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण होता है वहीं दूसरी ओर मिट्टी के ऊपरी परत के उपयोगी जीवाणुओं के जीवन की रक्षा भी होती है। किसानों के लिए धान की पराली का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ था। जिसको देखते हुए जिले में सुपर सीडर से गेहूं बुवाई को बढ़ावा देने के लिए दिव्यांश एग्रोफार्मर प्रोड्यूसर लिमिटेड कंपनी (FPO) ने खासपुर टांडा अंबेडकरनगर में किसानों के हित में एक योजना के अंतर्गत सुपर सीडर से खेतों गेहूं की बुआई का प्रदर्शन किया तथा पराली प्रबंधन हेतु तमाम यंत्रों का प्रदर्शन कृषकों की उपस्थिति में किया गया। तथा किसानों को पराली ना जलाने के फायदे के बारे में भी बताया गया। कम्पनी के डायरेक्टर राम मगन वर्मा ने कहा कि पराली जलाने से हमारे खेत के लाभदायक कीड़े मकोड़े मर जाते हैं तथा जमीन बंजर हो जाती है और हमारे पर्यावरण को भी काफी नुकसान होता है। इसी क्रम में ग्राम खासपुर में जयराम मौर्य के खेतों में उत्कृष्ट किसान राम मगन वर्मा के निर्देशन में सुपर सीडर तथा अन्य यंत्रों का प्रदर्शन किया गया जिसमें तमाम कृषक उपस्थित रहे इसी क्रम में कम्पनी के डायरेक्टर ने बताया कि किसानों की समस्याओं का सस्ता और अच्छे निवारण के लिए सुपर सीटर बुवाई फायदेमंद साबित हो रही है। जयराम मौर्य ने बताया कि मैं पिछले तीन वर्षों से राम मगन वर्मा के निर्देशन में तकनीकी का प्रयोग करते हुए ध्यान एवं गेहूं में अच्छी उपज सुपर सीटर के द्वारा प्राप्त किया।इसमें कम खर्च भी लगते हैं अधिक उपज देता है।कृषि उपसंचालक टांडा ने बताया कि सुपर सीडर से बुवाई में मिट्टी में नमी बनी रहती है। जिससे सिंचाई की लागत कम हो जाती है। बुवाई करने से खरपतवार कम हो जाते है। इससे गेंहू, चना, सोयाबीन, मक्का व दालें भी बुआई की जा सकती है। पराली जलाए बगैर बुवाई करने से प्रदूषण में कमी होती है। फसल उत्पादन में 5 प्रतिशत तक सम्भावित वृद्धि होती है तथा खाद डालने की जरूरत भी कम पड़ती है। इस मौके पर ईश्वर चंद्र,राजितराम वर्मा, आशा राम राम केश वर्मा आदि किसानों के खेतों की बुआई की गई तथा देखने वाले किसानों की भारी भी थी जिसमें अलाउद्दीन,बेचू,इरफान आलम,आसाराम,मनोज कुमार पासवान, रोशन लाल,सुंदरलाल,राम प्रकाश वर्मा, डाक्टर गयादीन सिंह,विमलेश विश्वकर्मा,राम भारत वर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्ट विमलेश विश्वकर्मा ब्यूरो चीफ अंबेडकर नगर