राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) छबड़ा:श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम,भुवाखेड़ी पर संचालित अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी पर महंत सेवानन्द पुरी महाराज की अध्यक्षता में अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया गया।योग सदस्य पवन नागर के अनुसार आश्रम पर संचालित योग कक्षा में रविवार सुबह सदस्यों को कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर नें कोरोना वायरस के बचाव के उपाय बताए गए तथा हाथ धोने के लिए 21 सदस्यों को डीटॉक्स साबुन और हैंड वाश का निशुल्क वितरण किया गया।नागर नें वार्ता में कहा कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखनें के लिए उचित पोषण के साथ योग और प्राणायाम के बारे में लोगों को जानकारी दी गई तथा साथ ही सर्दी,जुकाम,खांसी,सिर दर्द,चक्कर आने तथा श्वास लेने में तकलीफ,परेशानी होनें पर तुरंत चिकित्सक को दिखाने की सलाह दी गयी।आम लोगों से शारीरिक स्वच्छता के साथ घर,आंगन ओर मोहल्ले में भी साफ-सफाई रखनें तथा एक दूसरे के मिलने पर हस्त/हाथ नही मिलाने ओर हाथ जोड़कर ही दूर से वंदन करने की सलाह दी गयी।ग्रामीणों ओर शहरी लोगों से भी स्थानीय योग केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर नें हेडवास या साबुन से दिन में खाना-खाने से पहले तथा शौच जाने के बाद तथा 2 घण्टे से अधिक समय घर से बाहर रहने पर साबुन से हाथ धोने की अपील की गयीं।नागर नें अनेक साधकों को फोन मेसेज तथा वीडियो कॉल एवं फोन कर कोरोना वायरस से बचाव के बारे में बताया तथा नियमित योग प्राणायाम कर पौष्टिक खुराक लेनें की सलाह दी गयी।रविवार 15 मार्च को अन्तराष्ट्रीय विश्व उपभोक्ता दिवस होनें से व्हाट्सएप वीडियो कांफ्रेंस के जरिये 4-4 लोगों के साथ ऑनलाइन ग्रुफ संगोष्टि कर जागों ग्राहक जागों,उपभोक्ता के हित पहचानों का सन्देश देकर उपभोक्ता कानून के तहत ग्राहक के कर्तव्य एवं अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी गयीं।नागर नें वीडियो कॉन्फ्रेंस पर संगोष्टि के जरीय बताया कि उपभोक्ता के विभिन्न हितों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जाता है वहीं हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस भी मनाया जाता है इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं या ग्राहकों को उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और उसके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना है।बाजार में होने वाली ग्राहक जमाखोरी,कालाबाजारी, मिलावटी सामग्री का वितरण, अधिक दाम वसूलना,बिना मानक वस्तुओं की बिक्री,ठगी,नाप-तौप में अनियमितता,गारण्टी-वारण्टी के बाद सर्विस प्रदान नहीं करने के अलावा ग्राहकों के प्रति होने वाले अपराधों को देखते हुए इस दिन जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। वक्ता शंकर लाल नागर ने जानकारी देते हुए बताया कि
दुनियां में पहली बार अमेरिका में रल्प नाडेर द्वारा उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत की गई थी जिसके फलस्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए गए विधेयक पर अनुमोदन किया गया।इस विधेयक में चार विशेष प्रावधान थे जिसमें – उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार,सूचना प्राप्त करने का अधिकार,उपभोक्ता को चुनाव करने का अधिकार और सुनवाई का अधिकार शामिल था। बाद में इसमें 4 और अधिकारों को जोड़ा गया।
अमेरिका के बाद भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में मुंबई से हुई थी 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया गया 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में यह कानून लागू हुआ,इसके बाद 24 दिसंबर को पहली बार भारत में भी राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।नागर नें उपभोक्ता कोंन? का अर्थ बताते हुए कहा कि
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिये सामान अथवा सेवायें खरीदता है वह उपभोक्ता है। विक्रेता की अनुमति से ऐसे सामान,सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है अत: हम में से प्रत्येक किसी न किसी रूप में उपभोक्ता ही है।
उपभोक्ता कानून के अनुसार हम अपने अधिकार संपादित कर सकते है सबसे पहले हमें 100 रुपये मूल्य से अधिक की क्रय सामग्री का प्रिंटेड टेक्स पेढ बिल लेना है।कुछ बाते जो हमें उपभोक्ता हित में याद रखनी है जैसे
1. उन उत्पादों तथा सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार जो जीवन तथा संपत्ति को हानि पहुँचा सकते हैं।2.उत्पादों तथा सेवाओं की गुणवत्ता,मात्रा, प्रभाव,शुद्धता,मानक तथा मूल्य के बारे में जानने का अधिकार जिससे कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके। 3.जहाँ भी संभव हो,वहां प्रतियोगात्मक मूल्यों पर विभिन्न उत्पादों तथा सेवाओं तक पहुँच के प्रति आश्वासित होने का अधिकार 4.सुनवाई और इस आश्वासन का अधिकार कि उचित मंचों पर उपभोक्ता के हितों को उपयुक्त विनियोग प्राप्त होगा 5. अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार उपभोक्ता को हे।वीडियो कॉन्फ्रेंस पर प्रश्न पूछने पर बाबूलाल सुमन को नागर नें बताया कि उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत
शिकायतें क्या-क्या हो सकती हैं?
किसी व्यापारी द्वारा अनुचित,प्रतिबंधात्मक पध्दति के प्रयोग करने से यदि आपको हानि,क्षति हुई है अथवा खरीदे गये सामान में यदि कोई खराबी है या फिर किराये पर ली गई,उपभोग की गई सेवाओं में कमी पाई गई है या फिर विक्रेता ने आपसे प्रदर्शित मूल्य अथवा लागू कानून द्वारा अथवा इसके मूल्य से अधिक मूल्य लिया गया है इसके अलावा यदि किसी कानून का उल्लंघन करते हुये जीवन तथा सुरक्षा के लिये जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा जा रहा है तो आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
*कौन शिकायत कर सकता है?*
स्वयं उपभोक्ता या कोई स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन जो समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 अथवा कंपनी अधिनियम 1951 अथवा फिलहाल लागू किसी अन्य विधि के अधीन पंजीकृत है, शिकायत दर्ज कर सकता है।
*शिकायत कहां की जाये*
*शिकायत कैसे करें।*
क्षतिपूर्ति
उपभोक्ता अधिकार सरंक्षण के तहत
शिकायत कहां की जाये,यह बात सामान सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करती है अगर यह राशि 20 लाख रूपये से कम है तो जिला फोरम में शिकायत करें। यदि यह राशि 20 लाख रूपये से अधिक लेकिन एक करोड़ रूपये से कम है तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि एक करोड़ रूपसे अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। *शिकायत कैसे करें संपादित ।*
उपभोक्ता द्वारा अथवा शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत सादे कागज पर भी की जा सकती है शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता,शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहां हुआ आदि का विवरण,शिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज,बिल के साथ ही प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिये।इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिये किसी वकील की आवश्यकता नहीं होती साथ ही इस कार्य पर नाममात्र का न्यायालय शुल्क लगता है देकर
क्षतिपूर्ति दावा संपादित कर सकते है। विक्रेता द्वारा
उपभोक्ताओं को प्रदाय सामान से खराबियां हटाना, सामान को बदलना, चुकाये गये मूल्य को वापिस देने के अलावा हानि अथवा चोट के लिये क्षतिपूर्ति। सेवाओं में त्रुटियां अथवा कमियां हटाने के साथ-साथ पार्टियों को पर्याप्त न्यायालय वाद-व्यय प्रदान कर राहत दी जाती है।
उपभोक्ता अधिकार के साथ ही स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन,केंद्र या राज्य सरकार,एक या एक से अधिक उपभोक्ता कार्यवाही कर सकते हैं।ग्राहकों को राहत प्रदान करनें के लिए कई क़ानून बनाए गए जिनमें
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम-1885,
पोस्ट आफिस अधिनियम 1898,
उपभोक्ता,सिविल न्यायालय से संबंधित भारतीय वस्तु विक्रय अधिनियम 1930,
कृषि एवं विपणन निदेशालय भारत सरकार से संबंधित कृषि उत्पाद
ड्रग्स नियंत्रण प्रशासन एमआरटीपी आयोग-उपभोक्ता सिविल कोर्ट से संबंधित ड्रग एण्ड कास्मोटिक अधिनियम-1940,
मोनापालीज एण्ड रेस्ट्रेक्टिव ट्रेड प्रेक्टिसेज अधिनियम-1969,
प्राइज चिट एण्ड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) अधिनियम-1970
उपभोक्ता/सिविल न्यायालय से संबंधित भारतीय मानक संस्थान (प्रमाण पत्र) अधिनियम-1952,
खाद्य पदार्थ मिलावट रोधी अधिनियम-1954,
जीवन बीमा अधिनियम-1956,
ट्रेड एण्ड मर्केन्डाइज माक्र्स अधिनियम-1958,
हायर परचेज अधिनियम-1972,
चिट फण्ड अधिनियम-1982,
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,
रेलवे अधिनियम’-1982
इंफार्मेषन एंड टेक्नोलोजी अधिनियम-2000,
विद्युत तार केबल्स-उपकरण एवं एसेसरीज (गुणवत्ता नियंत्रण) अधिनियम-1993,
भारतीय विद्युत अधिनियम-2003,
ड्रग निरीक्षक-उपभोक्ता-सिविल अदालत से संबंधित द ड्रग एण्ड मैजिक रेमिडीज अधिनियम-1954,
खाद्य एवं आपूर्ति से संबंधित आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955,
द स्टेंडर्डस ऑफ वेट एण्ड मेजर्स (पैकेज्ड कमोडिटी रूल्स)-1977,
द स्टैंडर्ड ऑफ वेट एण्ड मेजर्स (इंफोर्समेंट अधिनियम-1985,
द प्रिवेंशन आॅफ ब्लैक मार्केटिंग एण्ड मेंटीनेंस आफॅ सप्लाइज इसेंशियल कमोडिटीज एक्ट-1980,
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,केंद्र सरकार से संबंधित जल (संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम-1976,
वायु (संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम-1981,
भारतीय मानक ब्यूरो-सिविल/उपभोक्ता न्यायालय से संबंधित घरेलू विद्युत उपकरण (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश-1981,
भारतीय मानक ब्यूरो से संबंधित भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम-1986,
उपभोक्ता न्यायालय से संबंधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,
पर्यावरण मंत्रायल-राज्य व केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड से संबंधित पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986
भारतीय मानक ब्यूरो-सिविल-उपभोक्ता न्यायालय से संबंधित विद्युत उपकरण (गुणवत्ता नियंत्रण)आदेश आदि भी बनाए गए है जिनका अध्ययन कर उपभोक्ता न्याय प्राप्त कर सकता है।बाजार से सामान लानें पर उपभोक्ता बिल अवश्य लेवें,चांदी,सोनें के कीमती सामान पर हॉलमार्क का चिन्ह तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों तथा लोहे के औजारों पर आईएसओ का मार्का देखकर ही खरीदे साथ ही कोई लिखित गारण्टी-वारण्टी हो तो बिल पर अंकित करावें।खाद-पदार्थो पर शाकाहारी के लिए ग्रीन गोला तथा मांसाहार के लिए लाल गोला लगा होता है शाकाहारी लोग ग्रीन गोला देखर ही खावे ओर पीवे।उपभोक्ता बाजार के भ्रामक प्रचार को देखकर आकर्षित नही हो हर सामान की गुणवत्ता और लिखी गयीं मात्रा देख-परक कर वस्तु खरीदे ओर बिल अवश्य लेवें।बाजार की उधार की अर्थव्यवस्था भी उपभोक्ताओं को बिल देंनें से इनकार नही कर सकती यह आपका अधिकार है जागो ग्राहक जागो अपने हित पहचानों के साथ वीडियो कॉन्फेंस संगोष्टि का समापन कर भाग लेने वाले अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र के बाबूलाल ,पवन चौहान पवन धाकड़,नेमीचंद परमानन्द शर्मा आदि सदस्यों नें उपभोक्ताओं को जागरूक करनें का संकल्प भी लिया तथा कहा कि अच्छा-खाना और पीना भी हमारा अधिकार है मिलावट खोरो ओर चीटिंग तथा नकली सामान बेचने वाले नक्कालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा उपभोक्ता न्याय प्राप्त करे ओर भारत को भ्रष्टाचार और करप्शन,रिश्वतखोरों से मुक्त करनें में युवा नागरिक आगे आकर कानूनी दायरे में रहकर अपना योगदान सरकार को देवें जिससें देश का हर नागरिक शारीरिक मानसिक ओर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेगा तथा सबके विकास का सपना साकार हो सकेगा।
*रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद*
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