*भारतीय जनमानस को पर्यावरण रक्षा हेतु भूटान नरेश के पर्यवरण बचाओ-पेड़ लगाओ के कार्यों से शिक्षा लेनें की जरूरत।*

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) पेड़ों की रक्षा आज के समय सबसे बड़ा पुण्य का काम।

-शंकर लाल नागर
कार्यकारी अध्यक्ष,अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी।
*कथा-भागवत,लंगर-जीमन के साथ आमजन पेड़ों का भी करें संरक्षण।*
-महंत सेवानन्द पुरी।
संस्थापक-श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम,अमीरपुर खेड़ी।
छबड़ा:श्री हनुमान सिद्ध साधनाश्रम,भुवाखेड़ी पर संचालित अमीरपुर खेड़ी में शीतला अष्टमी मनाई।योग संगठन मंत्री परमानंद शर्मा के अनुसार इस अवसर पर पवन धाकड़ तथा पवन नागर दोनों सेवादारों नें वर्षा ऋतु में लगाएं पेड़ों को पानी दिया गया।कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर नें शीतला अष्टमी का महत्व बताया तथा कहा कि वर्तमान में विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर से गुजर रहा है जिसका अभी तक कोई इलाज भी नही ढूंढा जा सका है परन्तु भारतीय संस्कृति में जलवायु परिवर्तन की सर्दी,गर्मी,वर्षात की तीनों दशाओं में बदलते मौषम से मानवीय शरीर में वात,पित्त और कफ के असंतुलन ओर प्रभाव से बीमारियों के आने की संभावनाएं होती है।हमारे ऋषियों,महर्षियों,आचार्यो, वेधाचार्यो नें ऋतु अनुसार आहार-विहार,आचार-विचार में ढलने की सलाह दी है और उसी क्रम में सभी धर्मों में औषधीय पेड़,पौधों को घर के अंदर ओर बाहर स्थान दिया है और उन्हें नष्ट करनें को अपराध भी करार दिया।तुलसी,पीपल,बड़,नीम,गूगल, अमलतास,बेलपत्र,कचनार, केशुका,पारिजात,आम,आंवला,नींबू जैसे पेड़-पौधों को मानवीय स्वास्थ्य से जोड़ इसके महत्व को देखते हुए पूजन में भी स्थान दिया है।औषधीय गुणों के आधार पर,लौंग,कालीमिर्च,जावित्री, तेजपत्र,दालचीनी,जायफल,केसर,कस्तूरी,गिलोई,कलोजी,अदरख,अजवाइन,पुदीना,एलोवेरा,सौंप, ईलायची,हल्दी,धनियां,लाल मिर्च,जीरा,रतन जोत,सेंधा,काला नमक आदि को घर की रसोई में स्थान दिया जिसके ऋतु अनुसार प्रयोग से व्यक्ति स्वस्थ रह सके।महंत सेवानन्द पुरी ने कहा कि पेड़ो से ही जीवन है क्योंकि वातावरण में ऑक्सीजन(प्राणवायु) पेड़ो से ही मिलती है आज पेड़ो का सबसे बड़ा शत्रु मनुष्य बन गया है।जीवों में दो जाति है एक शाकाहारी ओर दूसरा मांसाहारी परन्तु मनुष्य ने एक कदम आगे रखा और वो सर्वाहारी बन बैठा।देश,काल,परिस्थिति ओर जलवायु ओर मौषम के अनुसार उसकी दिनचर्या नही रहने से तथा योग और संयम का मार्ग छोड़ देंनें से अब मौत मनुष्य के सिर के ऊपर कोरोना वायरस बन मंडरा रही है मनुष्य के आचरण में सुधार नही हुआ तो आगे भी जीव हत्या नही रुकी तो कोई कीटों-पतंगों ओर जीवों से उतपन्न वायरस मौत बन आ सकता है।महंत सेवानन्द पुरी नें कहा कि चीन में शराब ओर चमगादड़ के सुंप,जूस तथा जानवरो के मांस के अति सेवन से कोरोना फैला है।भारतीय लोगों को घबराने की जगह इसके बचाव के साधन अपनाने चाहिए और ठंडा,बासी भोजन त्याग देना है तथा धार्मिक आडम्बरो में नही फस कर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की सलाह पर ध्यान देकर नित्य योग और प्राणायाम से जुड़ शाकाहारी बन आयुर्वेद अनुसार दिनचर्या का पालन करना चाहिये अन्यथा सर्वहारी मनुष्य का विनाश उसके अच्छे कर्मों के त्यागने ओर बुरे कर्मों के अपनाने के कारण ही होगा।अलख ज्योति योग सदस्य बाबूलाल सुमन,राधेश्याम,चौथमल,रमेश नागर,नेमीचंद नें भारतवासियों से भूटान के नरेश जिग्में खेसर नामग्याल वांगचुक से शबक लेनें को कहा जिन्होनें अपनें देश के लोगों से अपने जन्म दिन पर भूटान निवासियों से एक पौधा लगा पेड़ बनने तक सेवा करने का गिफ्ट मांगा ओर वहां की प्रजा नें 108,000 से अधिक पौधे लगा विश्व पटल पर अपने देश की पहचान बना दी इसी कारण 2020 भूटान के लिए ऐतिहासिक वर्ष हो गया।भारत का जनमानस भी ऐसा ही करें तो 1 वर्ष में जितने जन्म हो उतने पौधे लगा दिए जावे तो प्रति वर्ष सवा करोड़ पौधे लगा पेड़ बना सकते है और धरती पर अनिवार्य 33% राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार ओषत जंगल बिना सरकारी खर्च के भी मानवीय श्रम और योगदान से पर्यावरण शुद्ध हो सकता है।

रिपोर्ट कुलदीप सिंह सिरोहिया राजस्थान