उत्तर प्रदेश(दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट-कोरोना वायरस महामारी के दौर पर भरतकूप क्रेशर नगरी में एनजीटी नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले क्रेसर संचालक बने लोगों के जान के दुश्मन आज भी धड़ल्ले से एनजीटी के नियमों को दर किनार करते हुए संचालित है घनी आबादी से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग की कुछ दूरी पर क्रेसर जिम्मेदारों को आम स्वास्थ्य की नहीं है कोई चिंता जानकारी होने के बावजूद विभाग चढ़ौती पर है खुश आखिर कब तक मानव स्वास्थ्य के साथ क्रेसर संचालक करते रहेंगे खिलवाड़ छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों तक के स्वास्थ्य में क्रेशरों से उड़ने वाली डस्ट का पड़ता है प्रभाव लोगो को टीवी व फेफड़ा कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझने का सता रहा है डर ।शासन के आदेशानुसार जुलाई 2018 से 2019 के महम प्रस्तावित बन्दी के अंतर्गत प्रदूषण एवं पर्यावरण नियंत्रण वोर्ड लखनऊ के सचिव व मुख्य प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी लखनऊ के आदेशानुसार 49 स्टोन क्रेशर मिले भरतकूप, गोंडा,रोली कल्याणपुर में सीज की गयी थी। इसी क्रम में एनजीटी का हवाला देकर विद्युत विच्छेदन भी किया गया था। जिसमें 23 स्टोन क्रेशर 2018 जुलाई में व 12 स्टोन क्रेशर लगभग 2019 में सीज की गयी थी। लेकिन स्टोन क्रेशर बन्दी के बावजूद भी सभी स्टोन क्रेशर सन्चालित है। जिससे शासनादेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। और गैर कानूनी ढंग से यह बड़े-बड़े स्टोन क्रेशर प्लांट चलाए जा रहे है। इस कोरोना जैसी महामारी में क्रेशर प्लांट से धूल धक्कड़ व प्रदूषण होने से आए दिन लोग गम्भीर बीमारियों का शिकार होते रहते है। और न ही क्रेशर प्लांटो में मास्क लगवाते न ही सेनेटाइजर करवाते इनमे कुछ मशीने तो घनी आबादी व राष्ट्रीय राज्यमार्ग से सटी हुई हैं। आखिर कब तक मानव स्वास्थ्य के साथ क्रेशर संचालक करते रहेंगे खिलवाड़ एनजीटी के नियमों की खुलेआम क्रेशर संचालक उड़ाते रहेगे धज्जियां। जिम्मेदारों को आम स्वास्थ्य की नही कोई चिंता। जानकारी होने के बावजूद भी प्रदूषण विभाग व उच्च अधिकारी आखिर क्यो नही कर रहा कोई कार्यवाही।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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