शिक्षक दिवस के बारे में क्या बताएं जयप्रकाश मिश्रा

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर

जय प्रकाश मिश्रा मिडिया प्रभारी जौनपुर।

आज 5th सितम्बर है और आप सभी को पता है की हम बहुत ख़ुशी और उत्साह के साथ इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं|5th सितम्बर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन है|डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान शिक्षक और विद्वान थे|वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति बने थे|

डॉ सर्वपल्ली राष्ट्रपति खुद भी एक बहुत बड़े शिक्षक थे और वे सभी शिक्षकों का बहुत इज्जत करते थे |उनका शिक्षा और शिक्षकों के प्रति बहुत गहरी सोच थी और वे सभी शिक्षकों को बहुत पसंद करते थे इसीलिए उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में पुरे भारत में मान्या जाता है | दोस्तों हमारे शिक्षकों का हमारे जीवन को एक सही आकार देने में बहुत बड़ा अमूल्य योगदान है |हमारे शिक्षक ही हमारे मार्ग दर्शक हैं जो हमें सही रास्ता दिखा के जिंदगी में एक सफल और जिम्मेदार नागरिक बनने में हमारी मदद करते हैं|इसीलिए हमें हमेशा हमारे शिक्षकों का दिल से आदर और सम्मान करना चाहिए और जिंदगी भर उनका आभार रहना चाहिए |

हमारे माता पिता हमें जन्म दे के प्यार कर सकते हैं पर हमारे शिक्षक ही हमें सही और गलत का परख करना सिखाते हैं और हमारा भविष्य उज्जवल बनाते हैं |शिक्षकों के लिए हर छात्र समान है, वे किसी भी छात्र के साथ भेद भाव नहीं करते और एकदम निस्वार्थ और जिम्मेदारी से सभी बच्चों को अपने खुद के बच्चों के जैसे व्यवहार करते हैं ज्ञान प्रदान करते हैं | इसीलिए कहा जाता है की शिक्षकों का स्थान हमारे जीवन में सबसे उपर होना चाहिए | हमें हमेशा उनकी बातों का पालन करना चाहिए |एक शिक्षक ही हैं जो हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं और हमें शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हैं | वे हम सभी के लिए एक प्रेरणादायक स्त्रोत हैं जिनकी सिख से हम एक अच्छा इंसान बन सकेंगे | हम कल्पना भी नहीं कर सकते की बिना शिक्षक का हमारा जीवन क्या और कैसा होता | इसीलिए हमें अपने शिक्षकों का दिल से आदर,सम्मान और प्यार करना चहिये | उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए | तो इस महान अवसर पर में अपने सभी शिक्षकों को उनके महान कार्यों के लिए आभार व्यक्त कर रही हूँ और एक बार फिर से में सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयां देना देता हूँ|
धन्यवाद –

शिक्षक दिवस पर कविता

कुछ चार बरस का ही था मैं
जब पहली बार स्कूल गया
किसी ने मेरा हाथ थामा
लगा की जैसे माँ आ गई
क्या होता है गुरु ?
उस दिन ही मैंने जाना था,
पूरे मन, वचन, कर्म से उनको
अपना भगवान माना था |
गुरु ही तो वह बाती है
खुद जलकर प्रकाश फैलता है
अपनी मेधा के बल पर
छात्रों का भविष्य बनाता है |
क्या है हमारी गलती, उनसे
हमें अवगत कराता है |
सुधार करने का एक मौका देता
फिर स्वयं भी उसे बताता है |
आत्मविश्वास का एक दीप जलाता
मुश्किलों में साथ निभाता है
तुम सबकुछ कर सकते हो हर बार यही बतलाता हैं |
नमन करता हूँ मैं उन सबको
कुछ लायक मुझे बनाया है
मैं कौन हूँ और क्या हूँ
मेरा मुझसे परिचय कराया है |

शि‍क्षक दिवस पर कविता : दीपक सा जलता है गुरु
दीपक सा जलता है गुरु
फैलाने ज्ञान का प्रकाश
न भूख उसे किसी दौलत की
न कोई लालच न आस
उसे चाहिए,
हमारी उपलब्ध‍ियां
उंचाईयां,
जहां हम जब खड़े होकर
उनकी तरफ देखें पलटकर
तो गौरव से उठ जाए सर उनका
हो जाए सीना चौड़ा
हर वक्त साथ चलता है गुरु
फिर तराशता है शिद्दत से
और बना देता है सबसे खास
उसे नहीं चाहिए कोई वाहवाही
बस रोकता है वह गुणों की तबाही
और सहेजता है हममें
एक नेक और काबिल इंसान को

शिक्षक दिवस गीत
गुरु का दर्जा सबसे ऊँचा सारे हिन्दुस्तान में
दसों दिशाएँ बाँच रही हैं, मंत्र ये सबके कान में

गुरु ही हैं जो सदा उबारे, पग-पग अंधकार के भय से
बिन शिक्षा के हम हैं ऐसे, बिना सुगंध सुमन हों जैसे
यही सार उद्घोषित होता, सब धर्मों के ज्ञान में

कितना भी हो कठिन लक्ष्य, आसान बनाते गुरुवर
सबकी राहों में आशा के, दीप जलाते गुरुवर
गुरु चाहें तो प्राण फूँक दें, पल भर में पाषाण में

आशंका, भय, कठिनाई से जब भी हम डरते हैं
तब गुरु ही अंधियारे पथ पर, उजियारा करते हैं
गुरु परिवर्तन कर सकते हैं, विधि के लिखे विधान में

क ख ग घ, ए बी सी डी, रटने को देते हैं
और फिर जीवन के दर्शन का पाठ पढ़ा देते हैं
शिक्षक ही अवलंबन बनते, बालक के उत्थान में

निस्पृहता और निश्छलता ही, गुरुता की थाती है
गुरु के मन में स्वार्थ भावना, पनप कहाँ पाती है
गुरु कुछ भेद नहीं ||