सरकार जबरजस्ती पर उतारू है आलोक त्रिपाठी लकी

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर

जौनपुर।सरकार जबरजस्ती का काम कर रही है। वैसे तो जनतंत्र में जनता का निर्णय सर्वोपरी होता है, और लोकतंत्रात्मक तरीके से चुनी गई सरकार का निर्णय लोक/जनता के हित मे होता है। पर वर्तमान में मामला ठीक इसके उलट है। राजनीतिक विचारक गार्डनर ने कहा है कि व्यक्ति अपने हितों का सबसे बड़ा परखी होता है अर्थात व्यक्ति का हित कहा है यह बात उस व्यक्ति को स्वयँ सबसे अच्छी तरीके से पता होता है।
पर वर्तमान सरकार इन सिद्धांतों से परे है। इसका ताजातरीन उदाहरण किसानों का आंदोलन है, सरकार अपने बिल को किसानों के हित मे बता रही है, पर किसान ही इसका विरोध करते नही थक रहे। किसान इस बिल को अपने लिए डेथ वारंट मांन रहे है और सरकार कह रही है यह बिल किसान हितैसी है। किसान अपने लिए msp की मांग कर रहा है वो नही दिया जा रहा, किसान जो मांग रहा है कम से कम उतना तो उसे मिलना ही चाहिए। ऊपर से गंदा चलन तो यह चल गया है कि जो सरकार को विरोध करे उसको विपक्ष की साजिस करार दी जाती है। इससे ऊपर गए तो खालिस्तानी समर्थक कह दिया जाता है जो बहुत गलत है।ठीक इसी प्रकार कुछ दिनों पूर्व सरकार ने सवर्णों को आरक्षण दिया, स्वागत है, पर मेरे ख्याल से आज तक किसी भी सवर्ण संगठन ने आरक्षण की मांग ही नही की, यह भी जबरन आरक्षण दिया गया। इससे अब यही लगता है कि सरकार जबरदस्ती पर उतारू है।
इस पर तो यही कहा जा सकता है कि
बिन मांगे मोती मिले, मांगे मील न भीख

उत्तर प्रदेश सम्पादक अभिषेक शुक्ला