दैनिक कर्म भूमि (उत्तर प्रदेश रायबरेली ) डीह – एक तरफ सत्ता में आई भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत इस उम्मीद पर की थी की 2022 तक हर गरीब पात्र व्यक्ति के पास एक पक्का मकान हो । और गरीब भी यही आस लगाए बैठे थे की अब उनका भी एक पक्का मकान होगा परंतु भ्रष्ट सिस्टम और जिम्मेदारों की मनमानी के चलते गांव देहात के लोगों के लिए सरकारी आवास एक सपना बनकर रह गया । गांवों में बहुत से ऐसे लोग हैं जो घास फूस की कुट्टी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं । परन्तु जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी भी इन्हें अनदेखा कर देते है । ऐसा ही मामला डीह ब्लॉक के बरुआ ग्राम सभा का है। जहां राम जूठन विश्वकर्मा पुत्र रामसरन एक गरीब और मजदूर पेशा व्यक्ति है यह अपने बीवी बच्चों के साथ एक कच्चे मकान में रहता है राम जूठन की कमाई सिर्फ इतनी है जितने में उसके परिवार के दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो सके वह अपनी कमाई से अपने लिए घर नहीं बनवा सकता इसलिए वह अधिकारी व कर्मचारियों के पास दौड़ता रहता है परंतु अधिकारी कर्मचारियों के पास दौड़ने से उसे कुछ हासिल नही हुआ तब उसने मुख्यमंत्री पोर्टल पर आवास के लिए शिकायत की परंतु उस शिकायत का भी कोई फायदा नहीं हुआ ना तो मौके पर कोई अधिकारी उसके आवास की जांच के लिए गया ना तो उसे किसी ने आश्वासन दिया । इससे तो यही जाहिर होता है प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्रता का न कोई नियम है न कोई महत्व ।
रिपोर्ट :- सुरजीत राज सलोन रायबरेली
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