उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,11 फरवरी 2021 राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ अजित सिंह ने केन्द्र सरकार द्वारा आन्दोलनकारी किसानों को कभी उग्रवादी और कभी आन्दोलनजीवी बताने पर आपत्ति जताते हुये देश के किसानों के नाम खुला पत्र लिखा है। पत्र की प्रति जारी करते हुये राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने बताया कि किसानों को लिखे पत्र में चौ अजित सिंह ने कहा कि पिछले चार दशक किसान के सानिध्य में रहकर बहुत अच्छा लगा है। याद होगा, जब लोकदल के नेतृत्व का झण्डा मेरे हाथों में सौंपा था, तब मैने कृषकों की समस्याओं को बहुत करीब से जानने समझने के लिए 9 सितम्बर 1988 से 9 अक्टूबर 1988 तक क्रान्ति भूमि मेरठ से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पद यात्रा की थी। उस समय के दौरान मुझे अपना अपार स्नेह दिया था उसके बाद चाहे किसानों के भविष्य को संवारने की बात हो या उनके अधिकारों की रक्षा का मुददा हो, हर लड़ाई में संसद से लेकर सड़क तक हमेशा मुझे सहयोग मिलता रहा । मेरी और किसानों की इस सांझी यात्रा में एक बड़ा पड़ाव आया जब उद्योग मंत्री पद पर रहते हुये मैने चीनी मिलों के बीच की दूरी 25 किमी से घटाकर 15 किमी करने की स्वीकृति दी, ताकि देश भर में चीनी मिलों की स्थापना हो सके। साथ ही गन्ने के तीन वर्षो के बकाया अन्तर मूल्य के 900 करोड रूपये चीनी मिल मालिकों से गन्ना किसानों के खाते में भिजवायें। आज किसान के सामने दोहरा संकट आ खड़ा हुआ है। एक ओर तो केन्द्र सरकर ऐसे कानून बना रही है जो खेती और किसानों को बर्बादी की दिशा में ले जा रहे हैं, तो दूसरी ओर किसानों के लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने के अधिकार को पूरी शक्ति से कुचला जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कुछ पूंजीपतियों के स्वार्थ साधने के लिए यह सरकार किसानों के विरूद्व खुला युद्ध लड़ रही है। केन्द्र सरकार आन्दोलनकारी किसानों को कभी उग्रवादी तो कभी आन्दोलनकारी बता रही है। 2009 में हमने मिलकर गन्ना मूल्य (नियंत्रण) संशोधन आदेश 2009 कानून का विरोध दिल्ली की सड़कों पर उतरकर किया था। किसानों का यह आक्रोश और प्रतिरोध देखकर केन्द्र सरकार को गन्ना मूल्य नियंत्रण संशोधन का इरादा छोड़ना पड़ा था। अंग्रेजों के समय के भूमि अधिग्रहण कानून को भी सरकार पर दबाव बनाकर बदलवाया लेकिन आज ये घमण्डी सरकार किसानों के दर्द का मजाक बना रही है। चौ चरण सिंह के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। बस हमें अपने आने वाली पीढिघ्यों को अपने इतिहास और पहचान से जोड़े रखना है। राष्ट्रीय लोकदल का प्रत्येक कार्यकर्ता हर कदम पर किसान के साथ था, हैं और रहेंगा।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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