- उतरता प्रदेश दैनिक कर्मभूमि जौनपुर
लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में सेवा भावना अधिक होती है। लड़किया शादी से पहले तो माता-पिता और परिवार की सेवा करती हैं। शादी के बाद भी जहा वह अपने ससुराल पक्ष की सेवा कर गृहस्थी संभालती हैं, वहीं अपने मायका परिवार के मान-सम्मान के साथ-साथ उसकी देखभाल का भी पूरा प्रयास करती हैं। इस प्रकार हम एक लड़की को शिक्षित कर दो परिवारों को शिक्षित करने का काम करते हैं। यह विचार सुचिता तिवारी ने बताया कि कोई समय था जब बालिकाओं को शिक्षित करना जरूरी नहीं समझा जाता था, लेकिन उत्तर भारत में महान संत स्वामी दयानंद जी ने लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया। इसी का परिणाम था कि अबोहर में आर्य पुत्री पाठशाला की स्थापना हुई। आज हमारे देश की लड़किया शिक्षा ग्रहण कर किसी भी क्षेत्र में पीछे नही हैं जिसका प्रमाण हमे कल्पना चावला से मिलता है। लड़कियां सभी क्षेत्र में राजनीति से लेकर आईएएस अधिकारियों तक अपना वर्चस्व स्थापित किया है अभिभावक इसके लिए खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि कहते हैं कि परिवार में लड़का भाग्य से मिलता है, लेकिन लड़की सौभाग्य से मिलती है।
लड़कियों को आह्वान करते सुचिता तिवारी जीने का ने कहा कि आज जो सम्मान उन्हें मिला है उससे उत्साहित होकर वे अपने माता-पिता की आकांक्षाओं को पूरा कर समाज में उन्हें सम्मानित जीवन व्यतीत करने का अवसर प्रदान करें। सुचिता तिवारी जी ने युवाओं को संदेश दिया कि वह अपने वृद्ध माता-पिता की खुशी का कारण बनें, उनके लिए समय निकालें और उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान दें।
आज हमारे देश की बेटियाँ हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहीं हैं। विज्ञान भवन से लेकर देश की सीमाओं तक बेटियों ने अपनी क्षमता को सिद्ध किया है। मैं सभी बेटियों को शुभकामनाएँ देती हूँ एवं कामना करती हूँ कि आप सभी देश की नई पहचान बनकर उभरें।
रिपोर्ट अभिषेक शुक्ला जौनपुर
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