सुदामा चरित्र की कथा के साथ हुआ भागवत का समापन

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: ग्राम लोहदा मे चल रही श्रीमद्भागवत कथा अमृतवर्षा सोमवर को दिव्यता भव्यता के साथ सम्पन्न हुई। कथा के सातवें दिन व्यास पीठ से कथा प्रवक्ता आचार्य बालकृष्ण भार्गव ने भगवान श्रीकृष्ण के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह से परीक्षित के मोक्ष तक की कथा सुनायी, भगवान की आठ पटरानियां जो अष्टधा प्रकृति हैं और सोलह हजार एक सौ वेद की ऋचाएं हैं, जो भगवान के लिए हैं। इसीलिए भगवान कृष्ण ने विवाह के माध्यम से समाज मंे फैले वर्णसंकर दोष को समाप्त कर सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज की स्थापना करना था क्योंकि जहां वर्षा नही होती वहां की फसलें नष्ट हो जाती हैं और जहां संस्कार नही होता वहाँ की नस्लें खराब हो जाती हैं। कथा के क्रम में भगवान का सुदामा जैसा मित्र के बारे मे आचार्य ने बड़ी ही सरलता से कथा का उद्देश्य बताया।

सुदामा के बारे फैली भान्ति जो समाज मे है उसे दूर किया। श्रीकृष्ण ने ब्राम्हण का सम्मान करके सबको अपना उददेश्य बताया। साथ ही कथा मे 24 गुरुओं की कथा और राजा परीक्षित के दिब्य मोक्ष की कथा सुनाकर भक्तों को भगवन्नाम संकीर्तन के माध्यम से आनन्दित किया। आयोजक भाजपा नेता हिन्दू युवा वाहिनी के जिला प्रभारी प्रदीप शुक्ला ने अपने पिता की पुण्य वार्षिक तिथि के अवसर पर कथा श्रवण कर आए हुए भक्तो का आभार प्रकट किया।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट