जोखिम, कृषि स्वास्थ्य पर प्रभाव व रसायनिक खादों के दुष्परिणामो पर हुई चर्चा

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: विकास पथ सेवा संस्थान, चित्रकूट द्वारा पाॅंच दिवसीय विज्ञान स्वास्थ्य साक्षरता तथा कृषि स्वास्थ्य विषयक प्रषिक्षण कार्यााला का आयोजन कामदगिरि रेस्टोरेन्ट में किया गया। यह कार्यषाला एन.सी.एस.टी.सी., विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग एवं समर्थन से आयोजित किया गया।

कार्यषाला का शुभारंभ मांँ सरस्वती की पूजा अर्चना से किया गया। कार्यषाला का उद्घाटन विभिन्न गाँवों से आये किसानों के बीच से ही उदयभान सिंह व उमादत्त मिश्र के कर कमलों से हुआ। कार्यक्रम समन्वयक डा प्रभाकर सिंह ने कार्यषाला के उद्देष्य पर प्रकाष डालते हुए बताया कि हरितक्रांति के बाद लगातार रासायनिक खाद व कीटनाषक दवाओं का उपयोग बहुत बढ गया है। जिससे उत्पादन लागत महंगी हो गयी है। और हमारे भूमि की उर्वराश्षक्ति एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जोखिम पक्षों को उजागर करके कृषि जोखिमों से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान के बारे सही जानकारी के साथ कृषि भूमि के स्वास्थ्य व जैव विविधता के संरक्षण के लिए विज्ञान संचार करना व कार्यषाला के माध्यम से किसानो की समझ विकसित कर प्राकृतिक खेती/जैविक खादों एवं जैविक कीटनाषक दवाओं के प्रयोग कि लिए प्रेरित करना, जिससे मृदा स्वास्थ्य अच्छा बने साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक टिकाऊ व दुष्परिणामों से रहित हो, जिससे समस्त जीवों का जीवन स्वस्थ्य और सुन्दर बने।

पाँच दिवसीय कार्यषाला में कृषि जोखिम, विज्ञान व स्वास्थ्य साक्षरता, पर्यावरण, जैविक अपषिष्ठ, मृदा जल, आधुनिक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन, जैविक बाजार, परम्परागत खेती, जैविक खेती, रासायनिक खाद व कीटनाषक दवाओं के दुष्परिणाम, मानवजीवन पर प्रभाव, कृषि में नीम का महत्व, हरी खाद, मिट्टी एवं सिचाई जल परीक्षण, नाडेप वर्मी कम्पोस्ट, कीटनाषी जैविक विधियाँं इत्यादि विषयों पर रामनगर और मानिकपुर विकास खण्ड से आये किसानों का क्षमता वर्धन किया गया।

विषय विषेषज्ञ डा विकास सिंह ने बताया कि कृषि स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान संचार के माध्यम से किसानों को विज्ञान व स्वास्थ्य साक्षरता के प्रति संवेदित कर उन्हें जोखिम प्रबन्धन के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है, जो कृषि जोखिमों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली द्वारा यह प्रयास स्वागत योग्य है कि जोखिमों को कम करने में देष के अन्नदाता (महिला-पुरुष किसानों) की समझ विकसित हो जिससे वैज्ञानिक तरीकों के आधार पर कृषि स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके।

प्रगतिषील किसान षिवकुमार शुक्ला ने वैज्ञानिक तकनीकियों नवाचार के माध्यम से कार्यषाला में किसानों को नाडेप कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट, गड्ढा खाद व खरपतवार से कम्पोस्ट बनाने की विधियों की जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय रूप से उपलब्ध जैविक व प्राकृतिक संसाधनों जैसे पषु अपषिष्ट, फसल अवषेष, वर्षा जल इत्यादि के सदुपयोग व रसायनिक उर्वरक, कीटनाषक, खरपतवार नाषक आदि का प्रयोग न करके प्रकृति मित्र तकनीकों से फसल का पोषण व रक्षण करके जैविक कृषि का प्रबन्धन करंे। जिससे फसलों पर कीट व रोगों के प्रकोप, पानी, मिट्टी एवं वायु को दूषित होने, तथा मनुष्यों में हो रही नित नई बीमारियों से बचाया जा सके।

गोपाल कृष्ण गुप्ता ने बताया पराम्परागत खेती व जैविक खाद के उपयोग से मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ बेजुबान पषु पक्षियों के स्वास्थ्य में भी लाभ देखने को मिलेगा। इससे मिट्टी व पानी में भी सुधार व स्वच्छता आयेगी। पैदावारी बढेगी। रासायनिक खाद के अपेक्षा जैविक खाद से उगे उत्पाद में मूल्य अधिक मिलेगा।

कृषि विभाग के तकनीकी सहायक विजय राधव सिंह ने सरकार द्वारा मिल रही विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देकर लाभान्वित किया। साथ ही बताया कि कब और कितनी मात्रा में कीटनाषक दवाओं का छिडकाव करना चाहिए। साथ ही मिट्टी एवं सिचाई जल का परीक्षण कब, क्यों और कैसे करें।

कार्यषाला में तकनीकी सहायक रावेन्द्र कुमार, गोपाल कृष्ण गुप्ता, जन कल्याण षिक्षण प्रसार समिति के प्रमुख शंकर दयाल ने भी इस दौरान कई गतिविधियों का संचालन किया। किसानों ने भी विषषज्ञों के साथ अपनी जिज्ञासाओं का लगातार समाधान भी करते रहे। कार्यषाला के उपरान्त एक दर्जन किसानों ने अपने अपने गांँव में निगरानी समिति निर्माण कर पोषण वाटिका व एक-एक बीघे में जहर मुक्त खेती शुरू करने का संकल्प लिया। कार्यषाला में आदित्य मिश्रा, लवलेष सिंह, सज्जन कुमार सहित देउंधा, मगरहाई, लालापुर, बौनापुरवा, खरौध, मालिनटंगी, गढ़ी खुर्द, चन्द्रामारा, खोर, एंेचवारा इत्यादि सहभागिता की।

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट