उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि)चित्रकूट: ग्रामोदय मेले में बांस से बने आभूषण महिलाओं के बीच आकर्षण का केन्द्र बन गए हैं। संध्या वर्मा मझगवां, सतना से बांस के आभूषण लेकर ग्रामोदय मेले में आई हैं। उनके स्टाॅल पर बांस से निर्मित फर्नीचर और सजावटी सामग्री भी उपलब्ध है, लेकिन सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र हैं, बांस से बने गले के हार, कान की बाली, झुमके, अंगूठी और कंगन। गांव से आई महिलाएं ही नहीं, बल्कि देषभर से आईं अन्य महिलाएं भी बांस के आभूषण खरीदती दिखाई दीं।
स्टाॅल संचालक संध्या वर्मा ने बताया कि बांस का फर्नीचर और सजावटी सामान बहुत लोग बना रहे हैं, लेकिन बांस के आभूषण बनाने का काम काफी कम लोग कर रहे हैं। यही वजह है कि जितनी इनकी मांग है, उस हिसाब से उपलब्धता नहीं हो पाती है। सस्ते और संुदर होने के कारण भी बांस के आभूषणों को अधिक पसंद किया जा रहा है। आधुनिक समय में यह कला काफी लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने बताया कि बांस के आभूषण बनाने के लिए अधिक लागत नहीं लगती है। हमारे समूह में पांच से दस लोग हैं, जो बांस के आभूषण बनाने में पारंगत हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह कला अपने पिताजी कैलाश वर्मा से सीखी है जो कि बांस के कुशल प्रशिक्षक भी है, उनके द्वारा बांस से निर्मित मकान भी तैयार किये जा रहे हैं, यह सब अपने आप में नायाब कारीगरी है।
पचास रूपये में खरीदे गए एक बांस से आभूषण बनाकर पांच हजार रूपये तक कमाए जा सकते हैं। इस काम में नुकसान की आषंका नहीं होती है। कम प्रचार के कारण अभी इस तरह के आभूषणों का निर्माण काफी कम हो पा रहा है। लेकिन, भविष्य में यह काम बढ़ेगा, इसकी उम्मीद है।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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