उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि)चित्रकूट: दीनदयाल शोध संस्थान के तत्वाधान में आयोजित ग्रामोदय मेला में कृषि प्रदर्शनी के माध्यम से जैविक कृषि की विस्तृत जानकारी किसानों को दी जा रही है। यहाँ कृषि वैज्ञानिक उदाहरणों के माध्यम से बता रहे हैं कि जैविक पद्धति से खेती करने पर अधिक उपज प्राप्त होती है। यहाँ किसानों की समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है। प्रदर्शनी का आयोजन कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों की ओर से किया गया है।
कृषि प्रदर्शनी के प्रभारी एवं कृषि विशेषज्ञ विजय गौतम ने बताया कि हमारे देश में कृषि की पैदावार अच्छे मानसून पर निर्भर है। मानसून पर खेती की निर्भरता कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने हर खेत में पानी पहुँचाने के लिये प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की है। इस योजना में तीन मंत्रालय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धान मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग एवं कृषि मंत्रालय शामिल हैं। उनका कहना है कि किसानों की समस्या दूर करने के लियेे सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हर किसान अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण मृदा परीक्षण केन्द्र पर जाकर कराएं। इसके लिए सरकार एक गांव को चार भागों में बांट कर प्रत्येक किसान के खेतों की मिट्टी परीक्षण करके अनेक तत्वों की पहचान कर, सम्बधित सलाह देती है। इस तरीके से यह लाभ होगा कि खेतों की मिट्टी के अनुसार पैदावार की जाएगी। किसान भाइयों के लिये सरकार किफायती दर पर हैब्रिड बीज, जैविक खाद्य का सहकारी समितियों के माध्यम से वितरण करवाती है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ गांवों को मिलाकर सभी के लिये गौभ्यारण बनाकर उनके रहने और खाने एवं पीने के पानी की व्यवस्था की जाये तो किसानों की फसल को पशुओं के नुकसान से बचाया जा सकता है। परन्तु इन सब के लिये सरकार के साथ जनभागीदारी अनिवार्य है।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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