उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) कानपुर। कानपुर देहात के गुजराई गांव में इस वर्ष भी मार्गशीर्ष की चौदस एवं अमावस्या को दो दिवसीय भव्य रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। विगत 65 वर्षों से लगातार आयोजित हो रही यह रामलीला आज भी गांव की सांस्कृतिक पहचान और श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है।गांव के लोग इस परंपरा को अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हुए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ मंचन में भाग लेते हैं। गुजराई व भवानीपुरवा के निवासियों के लिए बड़े देव बाबा का ऐतिहासिक मेला और उसी दिन होने वाला धनुष-भंग समारोह किसी उत्सव से कम नहीं माना जाता।उत्तर प्रदेश के श्रेष्ठ कलाकारों द्वारा मंचित इस रामलीला में अनुशासन, नैतिक मूल्यों और रामायण की मर्यादाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। बाहर से आए दर्शकों का अतिथि के रूप में आदर किया जाता है, जो गांव की सांस्कृतिक भावना को और ऊँचा बनाता है।गांव के ही श्री बृजभूषण सिंह परिहार अकेला’ ने बताया कि बड़े देव बाबा का मेला और रामलीला का ऐतिहासिक संबंध शोध का विषय है। उन्होंने कहा कि “कानपुर देहात में इतना बड़ा मेला कहीं और नहीं लगता। यहां लगभग 50 हजार से अधिक दर्शनार्थी पहुंचते हैं,जबकि इसका कहीं भी प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता।”रामचरितमानस पर आधारित इस रामलीला की विशेषता यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की फूहड़ता को स्थान नहीं दिया जाता। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों पर आधारित यह रामलीला आज भी ग्रामीणों के लिए आस्था, संस्कृति और एकता का अद्भुत संगम बनी हुई है।
संवाददाता आकाश चौधरी कानपुर