लोकतंत्र तो सत्तर साल से लॉक डॉउन में है पंकज कुमार मिश्रा

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर
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लोकतंत्र तो सत्तर साल से लॉक डॉउन में है ।

अभी लॉक डॉउन का असर कम भी नहीं हुआ था , इटालियन अम्मा का मामला तूल पकड़ने वाला ही था जिसमें खुर्शीद साहब ने उन्हें इंटरनेशनल मम्मी घोषित भी कर दिया था , लोग सोच ही रहे थे कि हुआ क्या कि नौकरशाहों की चिट्ठी काम कर गयी रमजान के महीने में राजनेताओं की छाती में दूध उतरने का विधान इस लोकतंत्र में नया नहीं है । अरे ! समझे नहीं क्या ठाकरे साहब , साधो अभी नवरात्रे बीते कितना वक्त गुजारा ही तब सब बंद था क्योंकि कोरोना काल था तब कोरोना केवल दस हजारी था तो सब बंद था पर अब तीस हजारी है तो रमजान में सब खुल गया । 9 मार्च 2020 को कोरोना के पोजिटिव मरीज मात्र 44 थे। मृत्यु एक भी नहीं हुई थी। फिर भी राष्ट्रपति जी से लेकर साहब के छोटे से छोटे कार्यकर्ता तक ने होली मिलन का विरोध किया। 2 अप्रैल 2020 को श्रीरामनवमी पर देश में कुल कोरोना पोजिटिव केस थे 1965, और मृत्यु हुई थीं 50। फिर भी 25 मार्च से 2 अप्रैल तक नवरात्रि में ना कहीं डांडिया हुया, ना किसी मंदिर में पूजा-आरती हुई। किसी एक भी घर में फलाहार, व्रताहार नहीं पंहुचाया गया। हिंदू अपने घरों में 9 कन्याओं को भोजन तक ना करा सके ,लॉकडाउन था ना भाई। आज 25 अप्रैल 2020 है।
कुल 23,452 कोरोना पोजिटिव मरीज हैं। अभी तक कुल 723 मौत हो चुकी हैं कोरोना से पूरे देश में। पर रमज़ान के लिए मार्केट खुलेंगे ,जमाती घूमेंगे टोपी पहन कर । टोपी भी पहनाएंगे ।
लॉक डाउन में जब घरों में काम धाम बंट रहा था तो मुझको झाले मारने का कठिन काम सौंप दिया गया। दलील ये दी गयी कि सारे कबाड़ का सृजक बंदा मै ही हूं। दूसरा कारण मेडिकल से जुड़ा था कि धूल से बाकी लोगों को एलर्जी है। मास्क का सही उपयोग अब होने वाला था। हाथों पर केजरीवाल को मांजने वाले झाड़ू को लेकर , तेजप्रताप ब्रांड गल्बज पहनकर कूद पड़े भण्डार गृह में। लेखक के बेडरूम को इसी नाम से जाना जाता है। पलंग के नीचे से एक पुराने बक्से को खींचा। खोला। ऊपर ही ऊपर मेरी चंडिका रूपी पत्नी के शादी का कार्ड दिख गया बड़े सहेज कर रखा था यादों को । शादी में मिला गमछा भी नमुदार हुआ उसे भी बाहर निकाला। 24 कैरेट जंग से बनी अच्छी नक्काशी वाले बकशे ने न जाने मेरे दिमाग को कैसे अपने कब्जे में कर लिया। मैंने यंत्रवत उसे उठा लिया आैर एक साफ कपड़ा लेकर उसकी सफाई में जुट गया। थोड़ी देर में वो मेरी पत्नी के तवे जैसा चमकने लगा। मैंने रगड़ना जारी रखा। उसने भी चमचमाना नहीं छोड़ा। क्या यह सचमुच जंग का बना तो नहीं है। इसी ऊहापोह में मैंने जैसे ही उसका ढक्कन खोला तो कोई लम्बी सी आकृति निकलकर बाहर खड़ी हो गयी। आकृति ने फर्शी सलाम किया और मुझसे बोली, ‘व्हाट इज द आर्डर माई लार्ड?” ‘तुम कौन हो आैर इसमें क्या कर रहे हो?”
‘मैं बक्से का जिन्न हूं आैर आपने मुझे लॉक डाउन से निजात दिलायी है। व्हाट कैन आई डू फार यू, माई लार्ड?” ‘लेकिन एक सेकेण्ड! तुम तो चिराग में रहते थे। आैर आजाद होने पर धुआं फेंकते हुए हा हा हा , के साथ क्या हुक्म है मेरे आका, बोलते हुए प्रकट होते थे पर अब तुमने अपनी इंट्री का स्टाइल बदल दिया क्या ? मेरे दिमाग में कौधे इस प्रश्न का जवाब मै पूछने लगा ! ‘माई लार्ड, वो तो हमारी अरब मुल्क वाली फर्स्ट जनरेशन का स्टाइल था। मैं अंग्रेजी मीडियम वाला हूं , वॉट्सएप चलाता हूं ,आज्ञा मिलने पर अर्णव के कार पर हमला भी कराता हूं और तो और जेल में बंद आजम चचा के लिए फिक्रमंद भी रहता हूं , मैं बहुत दिनों से अपना घर बदलने की सोच रहा था। अब चिराग छोड़ इसी बक्से में रहता हूं ,कोई डिस्टर्ब नहीं करता।” ‘तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो ?” ‘खाने पीने का सामान तो नहीं ला सकता है क्योंकि सब जगह बंदी है। हां,आप चाहें तो अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया में मकान दिला सकता हूं।”
‘वो कैसे?”
‘रोज सैंकड़ों खाली हो रहे हैं। कोई रहने वाला नहीं है। हम जिन्न लोगोें का ही कब्जा है।” अच्छा यह बताओ कि ये लॉक डाउन भारत से कब खत्म होगा।?” ‘खत्म तो कब का हो जाता लेकिन सर कुछ फितरती लोगों ने इंसानों को जिन्न बनाकर घरों में कैद कर दिया है।” ‘अच्छा मेरे तीन सवालों का सही सही जवाब दो। क्या कोरोना वायरस चीन की देन है? इसका इलाज सबसे पहले क्या भारत खोज लेगा? क्या हमारा देश विश्व गुरु बन जाएगा?”
वो मेरे कान के बहुत करीब आकर कुछ बोलने जा ही रहा था कि एकदम सन्नाटा हो गया। अब मेरे कान से सूं सूं की आवाजें निरंतर आ रही हैं। सिर भी चकरा रहा था क्युकी बेलन जैसे किसी वस्तु का सिर से टकराना हुआ था ।
अचानक याद आया कि ये झपकी ये जिन्न बक्से सब उस थकान का नतीजा है जो घर में सो सोकर हुआ है , श्रीमती जी ने तेज स्वर में कहा झाले साफ हो जाए तो थोड़ा हाथ पैर भी हिला लो ! अपनी दाढ़ी और बाल जाकर बनवा आओ नहीं तो राहुल बाबा और केजरीवाल तुम्हें पार्टी में लेंगे । वैसे भी दाढ़ी और बाल लोक डॉउन में इतने बढ़ गए थे कि सब्जी लेने बाहर निकला तो एक अति उत्साही समाज सेवक ने मेरे हाथ में पूड़ी- सब्जी का पैकेट पकड़ा कर सेल्फी ले ली और बोला बाबा पेट भर खाना , हम लोग तुम्हें भूखा नहीं सोने देंगे ।अब डर ये लग रहा है कहीं वो फेसबुक पर न डाल दे ! नहीं तो लेखक बिरादरी में नाक कट जाएगी क्युकी यही लोग कहेंगे कि ये देखो लेखक साहब भी धर्म ढूंढ लिए ।
_________ पंकज कुमार मिश्रा 8808113709