राजस्थान ( दैनिक कर्म भूमि ) बारां छबड़ा:श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम भुवाखेड़ी अमीरपुर खेड़ी के बाला जी धाम पर शनिवार को गणेश चतुर्थी महा उत्सव दिवस भीड़-भाड़ रहित मनाया गया।लोंगों के कथन ओर कथा के अनुसार बड़ के पेड़ से निकले थे 2007 में गणेश जी।महंत सेवानन्द पुरी महाराज ने बताया कि अमीरपुर खेड़ी बहुत काल से 1992 तक उजड़ ग्राम रहा था और ग्रामीणों के कहे अनुसार उजड़ ग्राम के समय से गणपति की मूर्ति बड़ के पास रखी हुई थी जो कालांतर में बड के विस्तार से उसके तने में समा गयीं थी 2007 में अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर नें बुजुर्गों के कहे अनुसार स्थानीय कारीगर नेनक राम से यह मूर्ति बड़ के पेड़ से लोहे के औजारों से कोल निकाली गयीं थी पेड़ की कुलाई से पहले मूर्ति का सिर नजर आया धीरे-धीरे 7 दिन में पेड़ के तने से गणपति की मूर्ति निकाली गयीं थी।ईसवी सन 2007 में संकल्पेश्वर महादेव मंदिर निर्माण के बाद शिव स्थापना के समय बड़ से निकाली इस मूर्ति का भी अभिषेक ओर पूजन कर मन्दिर में स्थापना की गयीं थी।स्वर्गीय पटेल माधो लाल जी ओर अमर लाल जी नें तब मूर्ति का इतिहास बुजुर्गों के कहे अनुसार 108 वर्ष से भी अधिक पुराना बताया था सन 2015-16 में महंत सेवानन्द पुरी नें मूर्ति को चमत्कारी मान इस को जनता के दर्शनार्थ आश्रम पर बनाये गए राणा रामपुरी प्रवेश द्वार के ऊपर स्थापित कर दिया गया और एक छोटा सा मंदिर भी अब वहां बना दिया गया है।नागर के अनुसार मूर्ति के दर्शन करनें आसपास के भक्त समय-समय पर बुधवार के दिन आते रहते है शादी-विवाह और शुभ कार्य के समय लोग यहां गजानन को निमंत्रण पत्र भी देते है।स्वर्गीय संत शुद्धपुरी के अनुसार बड़ वाले इस गणपति पर सवा ग्यारह किलो का मेवा मिष्ठान युक्त देशी घी में निर्मित आटे और बेसन निर्मित रोट ओर इतनी ही घी निर्मित शुद्ध बेसन की नुक्ती मोतीचूर के लड्डूओं का भोग लगानें वाला व्यक्ति इन गणेश के आगे मनोती मांग चुनाव लड़े या अन्य शुभ कार्य करें और उसकी नियत सत्य मेव जयते की हो तो उसकी जीत निश्चित हो जाती है। स्वर्गीय शुद्धपुरी संत की यह बात जब प्रकाश में आई थी जब तत्कालीन समय एक व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए महाराज श्री के पास आया ओर उस व्यक्ति से महाराज श्री ने कोई आश्रम परिसर से वस्तु उठाकर लाने को कहा तो उस व्यक्ति ने महाराज श्री के समक्ष एक ईट रख दी तो संत ने कहा तुमनें निर्माण सामग्री चुनी है जाओ तुम्हारा चिन्ह भविष्य में चुनाव होनें पर ईंट ही होगा ओर तुम्हें जनता द्वारा जीत मिलेगी परन्तु जनता के काम सत्यमेव जयते की आवाज़ पर करना।चुनाव की मनोती का समय आया तो उस समय उस व्यक्ति का खुशी का ठिकाना नही रहा जब तत्कालीन समय 2 महीने बाद हुए चुनाव में वो खड़ा हुआ तो आश्चर्यजनक रूप से उसे ईट ही चुनाव चिन्ह रात्रि को मिला था।आज भी जो बड़ वाले गणेश जी को 21 बुधवार जो कोई सत्य मन से डोकता हे तो उसकी मन की मुराद अवश्य पूरी होती है।गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चोदश तक इनकी विशेष पूजा आश्रम पर होती है।कोरोना काल होने से अभी सामूहिक आरती पूजा बन्द है लेंकिन भक्तजन गेट के बाहर से गणपति के दर्शन एकल रूप से करने आ सकते हे। महाराज श्री के अनुसार अभी कोरोना काल मे आश्रम पर सामूहिक प्रवेश बन्द है लेकिन एकल रूप से मास्क ओर सोसियल डिस्टेन्स ओर सेनिटाइज के साथ आम जन चतुर्थी से लेकर चोदश तक एकल रूप से बाहर के गेट से दर्शन कर सकते है।गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में साडली की डूंगरी के नीचे रोड़ किनारे सागवान का पौधा रोपण कर आम लोगों से डूँगरी पर अतिक्रमण नही करनें ओर अलख ज्योति के पौधारोपण अभियान से जुड़कर हरियालो राजस्थान बनाने में सहयोग करनें की अपील की गयीं।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद
You must be logged in to post a comment.