दूषित हो रहा गंगा नदी का जल नही है कोई व्यवस्था

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) रायबरेली/डलमऊ–निर्मल हुई गंगा फिर से एक बार प्रदूषण की चपेट में आ रही हैं। पानी में प्रदूषण का असर तो एक महीने पहले ही दिखने लगा था। इस वक्त स्थित और भी खराब हो गई है। गंगा के जिस जल को लोग बिना हिचक पीने लगे थे। अब वही श्रद्धालु इसका रंग देख कतराने लगे हैं एक वक्त ऐसा था जब पतित पावनी गंगा प्रदूषण से कराह रही थी। इसकी वजह फैक्ट्रियों और शहरों के नालों का इसमें गिरना था। हालांकि, प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास तो खूब हुए, लेकिन सब कागजों पर। हालांकि नालों का पानी जिस रफ्तार से पहले नदी में गिर रहा था, वैसे ही अब भी आता है। जबकि लॉकडाउन में फैक्ट्रियों का पानी रुक गया था। जिसके बाद गंगा काफी हद तक निर्मल हो गईं थीं। एक महीने तक पानी की शुद्धता देख श्रद्धालु फूले नहीं समाते थे। उनकी यह खुशी ज्यादा दिन न रही। पानी में फिर प्रदूषण नजर आने लगा। इलाके के लोग बताते हैं कि एक महीने पहले ही पानी में प्रदूषण दिखने लगा था। इस वक्त तो गंगा का जल लाल हो गया है। ऐसे ही चलता रहा तो डॉल्फिन मछली समेत अन्य जलीय जीवों पर संकट आ जाएगा डलमऊ में ही गिरते नौ नाले प्राचीन किला, वीआइपी घाट, पथवारी देवी घाट, गौरा घाट, महावीरन घाट, शुक्ल घाट, बड़ा मठ व श्मशान घाट समेत डलमऊ में ही नौ स्थानों पर गंदे नाले गंगा नदी में गिर रहे हैं। कस्बे का पूरा पानी इन्हीं के सहारे नदी में जा रहा है। यहां सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना अभी कागजों पर दौड़ रही है।

संवाददाता श्रवण कुमार रायबरेली