उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,13 फरवरी 2021 संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चलो यह बात स्वीकार तो किया कि किसानों का आंदोलन पवित्र है तो उन्हें इसका सम्मान करना चाहिए और किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को तुरंत स्वीकार करना चाहिए। यह बात आज यहां किसान आंदोलन के सिलसिले में एक मीटिंग में राष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता संगठन के संयोजक मुहम्मद आफाक ने कही। उन्होंने भाजपा सरकार से मांग की कि उनके कार्यकाल में किसानों या समाज के किसी भी वर्ग के लिए कुछ नहीं किया गया। लेकिन चलो बर्फ पिघली और प्रधानमंत्री को किसानों के आंदोलन को पवित्र कहना पड़ा। इस संबंध में, हम मांग करते हैं कि यदि भाजपा सरकार अगर बहुत कुछ नहीं कर सकती है, तो कम से कम पिछली सरकारों द्वारा किसानों को दी गई रियायतों को गरिमापूर्ण तरीके से वापस करें। उदाहरण के लिए, उर्वरकों पर सब्सिडी, फसल खरीद के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य को अनिवार्य बनाना और गन्ना किसानों को बकाया का तत्काल भुगतान शामिल है। आखिर प्रधानमंत्री किसान आंदोलन को पवित्र कह रहे हैं तो किसानों की मांगों को पूरा करने में क्या समस्या है? किसान तो यही चाहते है कि कम से कम सहारा कीमत से के सिलसिले में एक कानून बनायें। समर्थन मूल्य पर अधिनियमित किया जाए। मोहम्मद आफाक ने कहा कि हम किसानों की मांगों और आंदोलन में उनके हर कदम के साथ हैं। हम कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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