राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: वर्तमान काल कौशल का है। बगैर हुनर वाले व्यक्ति के लिए रोजगार की संभावना लगभग नगण्य हो रही है जबकि हुनर वाले किसी भी व्यक्ति के लिए रोजगार की अनेक संभावनाएं बढ़ रही है। बिना कुशलता के किसी भी व्यक्ति का गुजारा वर्तमान समय में कठिन है। इस आशय के उदगार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र द्वारा आयोजित क्षमता वृद्धि रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे प्रशिक्षणार्थियों के उन्मुखीकरण कार्यक्रम में व्यक्त किए।. प्रो मिश्रा ने कहा कि चित्रकूट भगवान राम की तपस्थली रही है। भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने इस विश्वविद्यालय स्थापना की थी। नाना जी के विचार थे कि स्वरोजगार को अपनाकर और स्व परिश्रम से स्व उद्योग शुरू कर उद्यमी काफी आगे तक बढ़ सकते हैं । नाना जी की इसी भावना को ध्यान में रखकर ग्रामोदय विश्वविद्यालय में अपने स्थापना काल से ही कौशल शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है।
उन्होंने देश के अनेक सफल उद्यमियों व उनके उद्यमों की चर्चा करते हुए कहा कि हर व्यक्ति में कुछ न कुछ खूबी होती है और उस खूबी को उभारना चाहिए। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आए विद्यार्थियों का आवाहन किया कि सीखने की लालसा, पूर्ण मनोयोग एवं समर्पण के साथ प्रशिक्षण को पूरा करें। रोजगार के उद्देश्य को आत्मसात कर प्रशिक्षण प्राप्त करें। कार्यक्रम का प्रारंभ कुलपति प्रो भरत मिश्रा दीप प्रज्वल कर कियाा।
एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम के औचित्य व उद्देश्य की प्रस्तुति के दौरान कौशल केंद्र के प्राचार्य इं राजेश सिन्हा ने बताया कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित दो परियोजनाओं से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रारंभ किया जा रहा है। पहला प्रशिक्षण राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति हब प्रकोष्ठ द्वारा प्रायोजित है। इस प्रशिक्षण में अनुसूचित जाति व जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए निशुल्क आवासीय एवं अनावासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था है। दूसरा प्रशिक्षण एस्पायर परियोजना के अंतर्गत ग्रामोदय आजीविका व्यवसाय एवं उद्यमिता केंद्र द्वारा प्रदान किया जाएगा। प्रारंभिक बैच में 75 अभ्यर्थियों का एन एस एस एच परियोजना के लिए तथा 21 अभ्यर्थियों का एस्पायर परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण किया गया है। यह प्रशिक्षण भारत सरकार के विभिन्न क्षेत्रीय कौशल परिषदो द्वारा अनुमोदित है तथा कौशल स्तर 4 और 5 के प्रशिक्षण प्रदान किए जाएंगे। प्रशिक्षण कई बैच में प्रदान किया जाएगा और इसके लिए पंजीकरण जारी है। इंजी सिन्हा ने अभ्यर्थियों को विभिन्न कौशल स्तरों व एनएसक्यूएफ, एनओएस, क्यूपी के संबंध में प्रारंभिक जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण के उपरांत दोहरे प्रमाणन की व्यवस्था भी है। खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष इं अश्वनी दुग्गल ने छात्रों के लिए करणीय एवं अकरणीय बिंदुओं को संक्षेप में बताया।
छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो शशि कांत त्रिपाठी ने छात्रावास के नियमों के बारे में बताया एवं छात्रों को अनुशासन में रहने की सलाह दी। विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो इंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने प्रशिक्षण में आए लोगों को मन लगाकर प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। कुलसचिव प्रो रमेश चंद्र त्रिपाठी ने रोजगार प्रशिक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया तथा बताया कि मामूली शिक्षा के लिए भी हुनर चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। प्रो त्रिपाठी ने बताया कि अचार सभी लोग बनाते हैं पर किसी का अचार जल्द खराब हो जाता है और किसी का 15-20 साल तक भी खराब नहीं होता है। यह उनके कौशल के ही कारण हो पाता है। प्रशिक्षार्थी समूह बनाकर अपने कार्य को आगे बढ़ा सकते हैं। इस मौके पर कौशल केंद्र के शिक्षक प्रशिक्षक डॉ सुधाकर मिश्रा, इंजी केदार प्रसाद मिश्रा, इं वीरेंद्र गुप्ता, बाबूलाल, मनीष तिवारी ,महेश सिंह, साक्षी श्रीवास्तव, मानसी, लक्ष्मण गर्ग, संजय, राजबहादुर, जब्बर सिंह, रमाशंकर आदि मौजूद रहे।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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